कुंडली में विद्यमान ग्रह हैं कारण उतार-चढ़ाव का कारण

आपने देखा  कि आपके किसी जानकार ने रियलएस्टेट के बिजनेस में हाथ आजमाया और कुछ ही सालों में उसकी आर्थिक स्थिति में भारी बदलाव आया। कल तक उसके पास अपना घर बनवा ने के लिए 100 गज का प्लाॅट तक खरीदने को पैसा नहीं था लेकिन आज वह लोगों के लिए फ्लैट बनाकर बेच रहा है।अमुक व्यक्ति को देखकर अगर आपने भी रियलएस्टेट में इन्वेस्ट करने का मन बना लिया है, तो फिर अपना पैसा वहां लगाने से पहले कुछ बातों पर विचार करना जरूरी है।

रियलएस्टेट का कारोबार संभावनाओं से भरा हुआ है, इसमें उतार-चढ़ाव आता रहता है।

एक व्यक्ति की सफलता के आधार पर इसमें इन्वेस्ट ना करें।

इस बात पर गौरफरमायें कि रियलएस्टेट के व्यवसाय को बनाने और बिगाड़ ने में व्यक्ति-विषेष की कुंडली में विद्यमान ग्रहों की दषाओं का विषेष महत्व होता है।

क्यों होता है रियलएस्टेट में उतारचढ़ाव

पिछले कुछ सालों में रियलएस्टेट के व्यवसाय में भारी फेरबदल हुआ है। कुछ बिल्डर्स टाॅप तक पहुंच गये हैं, तो कुछ एकदम धरातल पर पहुंच गये हैं। सच तो यह है कि रियलएस्टेट का अपार संभावनाओं के साथ-साथ रिस्क से भरा हुआ भी है। इसमें मेहनत और होषियारी तो मायने रखती है, लेकिन अगर केवल मेहनत और स्मार्टनेस ही काम करती, तो रियलएस्टेट के कारोबार में समय असमय गिरावट नहीं आती। वर्तमान में नामी बिल्डर्स के बहुत सारे फ्लैट्स बनकर तैयार हैं कम दाम होने के बावजूद उनके पास खरीदार नहीं हैं। सच तो यह है कि किसी भी काम की सफलता के लिए मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ देना भी जरूरी है। अगर आपकी कुंडली में शनि और मंगल की दषा अच्छी है, तो फिर आप रियलएस्टेट के कारोबार में सफलता प्राप्त कर पायेंगे, लेकिन अगर ये दोनों अपने घर को छोड़कर किसी अन्य घर में विद्यमान होंगे, तो आपको घाटे का सामना करना पड़ेगा।

जन्म के पहले से होता है निर्धारित

आप अपने जीवन में जिन बातों का सामना करते हैं, उनका निर्धारण आपके जन्म से पूर्व ही हो जाता है। यह कतई जरूरी नहीं है कि अगर आप किसी सम्मानित या धनवान परिवार के व्यक्ति हैं, तो हमेषा आपके जीवन में सुख-समृ़िद्ध का वास रहेगा। सच तो यह है कि जीवन में सफलता और असफलता आपकी मेहनत के साथ-साथ आपके भाग्यपर औरआपकी कुंडली मेें ग्रह दषाओं की स्थिति परनिर्भर करती है।

 महत्वपूर्ण है मंगल और शनि की भूमिका

जब भी आप रियलएस्टेट में नफे-नुकसान की बात करते हैं, तो उसे जानने के लिए सबसे पहले मंगल-ग्रह और बुद्ध की स्थिति को समझना जरूरी  है। ऐसा इसलिए है कि मंगल ग्रह निर्माण कार्य को संचालित करता है जबकि बुद्ध जमीन पर होने वाले खर्च को नियंत्रित करता है। अगर आपकी जन्म कुंडली में ये दोनों ग्रह सही जगह परस्थित नहीं हैं, तो फिर आपको रियलएस्टेट के कारोबार क्या आपको खुद के लिए का निर्माण कर वाने में ही बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

सच नहीं भ्रांति है ये

इस संबंध में लोगों में बहुत सारे मिथ प्रचलित हैं, जो कि किसी भी दृष्टिकोंण से सही नहीं कहे जा सकते।

लोगों में ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में काल सर्पदोष है वे हमेषा समस्याओं से ही घिरे रहते हैं। यह धारण बिल्कुल गलत है ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो कुंडली में कालसर्पदोष होने के बावजूद सफलता के चरम तक पहुंचे हैं। बहुत सारे ऐसे सफल राजनीतिज्ञ, बिल्डर और फिल्मइंडस्टरी के सम्मानित लोग हैं, जिन्होंने कुंडली में कालसर्प दोष होने के बाद भी शनि की साढ़े साती को लेकर लोगों में ऐसी भ्रांति है कि शनि की साढ़े-साती हर किसी के लिए हानिकारक नहीं होती है। कुछ लोग इस दौरान अपार धन कमाते हैं। इस समय बड़ी जमीन खरीदकर वो बड़े बिल्डर बनजाते हैं, लेकिन यह मात्रभ्रांति ही है। यह जरूरी नहीं है कि हिन पर शनि की साढ़े साती चल रही है वो सारे लोग बड़े बिल्डर ही बनजायें।

 

ग्रहों की स्थिति से होता है घाटा और मुनाफा

जिसकी कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होती है उसके बारे में ऐसी मान्यता है कि वो अच्छी खासी भूमि का मालिक होगा भले ही उसके पास प्राॅपर्टी हो या ना हो। यह सच है कि कुंडली में शनि का सही स्थान पर होना उसके पास भूमि होने को सुनिष्चित करता है, लेकिन यह भी सच है कि किसी की कुंडली में कोई भी ग्रह बहुत देर तक अच्छा या बुरा परिणाम देने वाला नहीं होता है। कोई ग्रह विषेष आपके लिए अच्छा है या बुरा यह साथी ग्रह की स्थिति पर भीनि र्भर करता है। अगर आपकी कुंडली में साथी ग्रह मित्र है, तो फिर आपको लाभ होगा, लेकिन साथी ग्रह विरोधी ग्रह है, तो फिर नुकसान का अंदेषा भी रहता है। आपकी कुंडली में  12  घर होते हैं और घर का अपना अलग प्रभाव होता है । कुंडली में ग्रह हमेषा चला यमान स्थिति में रहते हैं। कुछ ग्रहते जी से घूमते हैं और कुछ धीरे-धीरे। आपकी कुंडली में विद्यमान ग्रहों की स्थिति पर ही आपको रियलएस्टेट के व्यवाय में फायदा और घाटा होता है।

कुंडली में आठवां घर घाटे का होता है। जब किसी की कुंडली में शनि आठ वें घर के संपर्क में या किसी अन्य घर के संपर्क में आता है, तो उस पर उसी घर के गुण और दोषों का प्रभाव पड़ता है, जिस घर के वह संपर्क में आता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को लगातार आर्थिक मुष्किलों का सामना कर ना पड़ता है, लगातार होने वाले घाटे की वजह से प्राॅपर्टी बेचने तक की नौबत आ जाती है।

ऐसी ही स्थिति तब भी होती है, जब मंगल अपना घर छोड़कर पांच वे घर में पहुंच जाये। इस समय घटा बच्चों की वजह से होता है । ऐसी स्थिति में प्राॅपर्टी को घाटे में बेचने की नौबत तो नहीं आती है, लेकिन निरंतर नुक्सान का सामना करना पड़ सकता है। जिन लोगों को शनि की साढ़े साती सूट करती है उनके लिए तो यह निरंतर फायदे मंद साबित होती है। लेकिन जिन्हें साढ़े साती सूट नहीं करती उन्हें अच्छी स्थिति में होने के बावजूद आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।

 

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