गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

गणेश चतुर्थी स्पेशल:जानें गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना का सबसे शुभ समय

रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश जी का जन्म दोपहर में माना जाता है इसलिए इनकी पूजा भी सुबह के समय की जाती है शास्त्रों में कथा के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन कभी भी आकाश में चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए नहीं तो व्यक्ति झूठे इल्जाम कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ सकता है 13 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर आकाश में चंद्रमा को नहीं देखना है गणेश जी की मूर्ति स्थापना का पूजा का समय
13 सितंबर 2018 को 11:02 से लेकर के 1:35 दोपहर तक रहेगा गणेश जी की पूजा शौदाक्ष उपचार विधि से करनी चाहिए यह उत्सव 10 दिन तक चलता है|

पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आनेवाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाते हैं संकट शब्द से ही संकष्टी बना है नाम से ही स्पष्ट होता है कि किसी भी प्रकार के संकट से मुक्ति पाने के लिए इस व्रत को मनाया जाता है और अमावश के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है । विनय शब्द से विनायक बना है इसलिए विद्या, विनय, विवेक की प्राप्ति हो और हम अपने विवेक से सभी
प्रकार के विघ्न-बाधाओं से मुक्ति पा सकें इसलिए विशेष रूप से विनायक चतुथीं मनाते हैं ।

शिव पुराण के अनुसार माता पार्वति ने उबटन से एक खूबसुरत प्रतिमा बनायी और उसमें जीव प्रदान कर दिया और उसे द्वार पर निगरानी के लिए कहा और निर्देश दिया कि किसी को भी अन्दर नहीं आने देना क्योंकि मैं स्नान करने जा रही हूँ । इसी समय शिव आए जो अन्दर प्रवेश करने लगे । भगवान शिव से परिचित नहीं थे और माता का निर्देश भी था कि किसी को अंदर नहीं आने देना इसलिए गणेश जी ने शिव
को रोका शिव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने त्रिशुल से गणेश के सिर को धड़ से अलग कर दिया इतने में पार्वती वहां आयी और गणेश की यह स्थिति देख बहुत दुःखी हो गयी । शिव ने पार्वती की प्रसन्नता के लिए हाथी के बच्चे का मस्तक गणेश जी के धड़ से लगाकर पुनः जीवित कर दिया । माता पार्वती ने गणेश की  इस आकृति को देखा तो दुःखी हो गयी तभी सारे देवी देवता आए और आर्शीवाद स्वरूप अद्वितीय

उपहार भेंट किये । इन्द्र ने अंकुश, वरूण ने पाश, ब्रह्मा ने अमरत्व, लक्ष्मी ने ऋद्धि-सिद्धि, सरस्वती ने समस्त विद्या आदि भेंट किया और उन्हें सर्वसममति से प्रथम देव के रूप में पदस्थापित किया इसलिए इनकी पूजा-अर्चना के उपरान्त ही अन्य देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है । जीवन में किसी प्रकार का संकट हो तो पूर्णिमा के उपरान्त आने वाले कृष्ण पक्ष की चतुर्थी जिसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं इस तिथि को गणेश जी की पूजा-अराधना करनी चाहिए और विद्या, विनय, सुख, समृद्धि आदि की कामना हेतु अमावश के उपरान्त आने वाली चतुर्थी तिथि जिसे विनायक चतुर्थी कहते हैं के दिन इनकी पूजा-अराधना करनी चाहिए।

विधि-विधान एवं उपलब्ध सामग्री के साथ यथोपचार पद्धति से इनकी पूजा अराधना करें गणेश जी के पूजन की सरल व आसान विधि सबसे पहला प्रसन्नचित्त होकर के शुद्ध जल से स्नान करके और जिस रूम में गणेश जी की पूजा करनी है पापा साफ सफाई करके सुदर्शन बिठाकर के पूजा के लिए फूल धूप दीप लाल रंग की मूवी चंदन लड्डू कपूर आदि को थाली में रखकर के सजाएं ओम श्री गन गणपतए नमः का 108 बार जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है गणेश जी के साथ शिवजी जी पार्वती जी नंदी और कार्तिकेय जी का भी पूरे समस्त शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए ध्यान रखें पूजा करते समय किसी बात पर गुस्सा नहीं करना चाहिए गणेश जी की पूजा में एक विशेष प्रकार की ghaas ya doob का प्रयोग किया जाता है पूजा करने के पश्चात गाय को गुड़ और गेहू खिलाएं|

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